दिल्ली में प्रगति मैदान में अन्तराष्ट्रीय व्यापार मेले में एक स्टाल पर काफ़ी भीड़ थी। वहां जा कर देखा तो स्टाल पर एक सेल्समैन लैक्टोमीटर से घर पर दुग्ध की शुद्धता जाँचने की विधि का प्रदर्शन कर रहा था। वह बता रहा था कि दुग्ध में जल मिला देने पर दुग्ध का आपेक्षिक घनत्व (specific gravity ) कम हो जाता है। शुद्ध दुग्ध का आपेक्षिक घनत्व सामान्यतया 1.027 से 1.033 तक होता है। यदि लैक्टोमीटर से जाँचने पर दुग्ध का आपेक्षिक घनत्व कम पाया जाए तो समझें कि दुग्ध में जल मिला है।
लैक्टोमीटर काँच का बना हुआ एक सस्ता उपकरण होता है जो दुग्ध का आपेक्षिक घनत्व नापने के काम में लाया जाता है। 1.033 आपेक्षिक घनत्व का अर्थ है 1 लीटर में 1.033 किलोग्राम भार।
यह बात सही है कि लैक्टोमीटर को दुग्ध का आपेक्षिक घनत्व नापने के काम में लाया जाता है किन्तु यह दुग्ध की शुद्धता को निश्चित नहीं करता। दुग्ध से यदि वसा (क्रीम के रूप में) को निकाल लिया जाए तो दुग्ध के आपेक्षिक घनत्व में वृद्धि हो जाती है। इस अधिक आपेक्षिक घनत्व वाले दुग्ध में जल मिला कर पुनः आपेक्षिक घनत्व को कम करके 1.027 से 1.033 तक लाया जा सकता है। यानि क्रीम भी निकाल ली और जल भी मिला दिया फिर भी दुग्ध शुद्ध है। यदि किसी दुग्ध में क्रीम की मात्रा सामान्य से अधिक हो तब भी लैक्टोमीटर दुग्ध का आपेक्षिक घनत्व सामान्य से कम दर्शाएगा। ऐसी स्थिति में शुद्ध दुग्ध पर भी जल मिश्रित होने का सन्देह हो जाएगा। इसके अतिरिक्त आपेक्षिक घनत्व तापमान के साथ परिवर्तित भी होता है। तापमान बढ़ने पर आपेक्षिक घनत्व कम होता है तथा तापमान कम होने पर आपेक्षिक घनत्व अधिक हो जाता है। यदि शुद्ध दुग्ध में वायु मिश्रित हो जैसा कि पम्प से टैंकर में दुग्ध भरते समय हो जाता है तब भी आपेक्षिक घनत्व 1.015 से 1.020 तक हो सकता है।
इस प्रकार दुग्ध में जल की मिलावट की जाँच करने में लैक्टोमीटर त्रुटिरहित साधन नहीं है।